20170916

प्रेतात्मा की गवाही

रात्रि की स्याह कालिमा घने बादलों एवं धुँध भरे कोहरे से मिलकर वातावरण को किंचित रहस्यमय बना रही थी। हल्की सी बूँदा-बाँदी और सुनसान निर्जनता इस रहस्यमयता में किसी अनजाने भय की सृष्टि कर रही थी। लगता है इस वातावरण का प्रभाव उस व्यक्ति पर था, जो इस समय घोड़े पर बैठा हुआ इस निर्जन क्षेत्र से गुजर रहा था। रह-रहकर उसके समूचे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती थी। कह नहीं सकते यह सिहरन ठण्ड के कारण थी अथवा भय के कारण या फिर उस पर ठण्ड और भय का ही मिला-जुला असर था। सत्य जो कुछ भी हो, पर अभी उसे अपने घर पहुँचने की जल्दी थी। इसी कारण वह जब-तब घोड़े को एड़ लगाकर उसे तीव्र गति से दौड़ने के लिए प्रेरित कर रहा था।

शीर्षासन का महत्व

आसनों का महत्व साधारण व्यायाम से बहुत अधिक है। तभी तो योग के आठ अंगों में उन्हें स्थान दिया गया है। यदि उनमें विशेषता न होती तो कोई भी व्यायाम योग का अंग बन जाता। कारण यह है कि निर्बल शरीर वाले, बुद्धि जीवी, रोगी, बालक, स्त्रियाँ, बुड्ढे सभी के लिए आसनों का व्यायाम ऐसा है जो बिना किसी प्रकार की अनावश्यक शक्ति हरण किये शरीर के मन्द हुए कल पुर्जों को आसानी से चला देता है। साधारण व्यायाम में यह बात नहीं है। डंड बैठक करने के बाद आदमी थक जाता है और सुस्ती आती है किन्तु आसनों के बाद प्रफुल्लता और फुर्ती का उदय होता है।